Thursday 30 April 2009

Girls are better than Boys


लडकियां लडकों सी नहीं होतीं...





यह जानना रोचक होगा कि पुरूषों और महिलाओं के सोच और स्वभाव में कैसे-कैसे अंतर होते हैं।

पुरूषों के लिए महिलाओं का सौंदर्य-व्यक्तित्व महत्व रखता है, जबकि महिलाओं पुरूषों की पद-प्रतिष्ठा व संवेदनशीलता से प्रभावित होती हैं।
तनाव, अवसाद या कुंठा की स्थिति में पुरूष खामोश रहते हैं, महिलाओं ऎसी स्थिति में अधिक बोलती हैं।
महिलाओं भावनात्मक व पुरूष तर्कसंगत व व्यावहारिक होते हैं। दिमाग का इस्तेमाल ज्यादा करते हैं।
महिलाओं एक समय में एकाधिक कार्य कर सकती हैं। खाना बनाते हुए मोबाइल पर बातें, सहेलियों से गेट मीटिंग जैसे कार्य बखूबी कर सकती हैं, जबकि पुरूष ऎसा नहीं कर पाते।
पुरूषों पर भरोसा किया जाए या नहीं, यह बात उनकी एक जीन तय करती है, जो 17 अलग-अलग आकारों में होती है। सबसे लंबी जीन वाले पुरूष भरोसेमंद साथी साबित होते हैं।
महिलाओं में निर्भरता का भी कारण यही जीन है। वे हमेशा ऎसे पुरूष का साथ चाहती हैं, जो उनके बच्चों के लिए अच्छा पिता साबित हो।
महिलाओंका मस्तिष्क चेहरे को पढने की अjुत क्षमता रखता है। जबकि पुरूष इसमें चूक जाते हैं। उदाहरण के लिए, जब तक वे स्त्री की आंखों में आंसू नहीं देख लेते, उन्हें समझ ही नहीं आता कि वह दुखी है। शायद इसलिए महिलाओं पुरूषों की तुलना में चार गुना ज्यादा रोती हैं, ताकि पुरूष नजरअंदाज न करें।
पुरूष स्थितियों के बारे में तार्किक ढंग से सोचते हैं। दूरदर्शिता से उसका हल निकालते हैं। जबकि महिलाओं को छोटी-छोटी घटनाएं भी परेशान करती हैं, वे ज्यादा घबराती हैं।
जोखिम लेना व प्रयोग करना पुरूषों के जैविक गुण हैं, जबकि महिलाओं सुरक्षा के पहलू पर ध्यान देती हैं। पुरूष अधिक स्वतंत्र ढंग से कार्य कर पाते हैं, जबकि महिलाओं दूसरों की राय पर काम करना ज्यादा पसंद करती हैं।
दर्द झेलने और उबाऊ कार्य करने की क्षमता महिलाओं में पुरूषों से अधिक होती है। अंत में कहा जा सकता है कि तमाम जैविक भिन्नताओं के बावजूद सच्चाई यह है कि मनुष्य का मस्तिष्क सीमाओं को नहीं मानता, वह चुनौतियां लेता है। स्थितियां ्रजरूरत के हिसाब से बदलती भी हैं। स्त्री-पुरूष के बीच भिन्नताएं भी समय आने पर खत्म होती हैं।
पुरूषों के मस्तिष्क में छोटे-छोटे कई बॉक्स होते हैं, जिनमें करियर, पत्नी, बच्चे फिट होते हैं। एक बार में वे एक बॉक्स के बारे में बात करते हैं। महिलाओं का मस्तिष्क कई तारों से मिलकर बने बडे बॉल की तरह है, जिसमें सभी बातें एक-दूसरे से जुडी होती हैं। इंटरनेट की तरह काम करता है उनका मस्तिष्क। इसलिए घटनाएं ज्यादा याद रखती हैं वे।
पुरूष घंटों उबाऊ टीवी कार्यRम देख सकते हैं। खाली बैठ सकते हैं। पर महिलाओं खाली नहीं बैठतीं। उन्हें तो यह भी बुरा लगता है कि पुरूष खाली कैसे बैठते हैं। परेशान होने पर पुरूष खामोशी पसंद करते हैं, वहीं महिलाओं समस्याएं बांटना चाहती हैं। लेकिन इसका अर्थ हमेशा यह नहीं होता कि वे समाधान चाहती हैं। पुरूष से पूछें कि वह क्या महसूस करता है तो वह बताएगा कि क्या सोचता है, लेकिन स्त्री से पूछें कि वह क्या सोचती है तो वह बताएगी कि क्या महसूस करती है।

These are the some of the basic difference between Girls and Boys Which Prove
Girls are far more BETTER than the boys!!!!!

Get Ready to be Trendy & Fashionable




हो जाएं रेडी

आजकल जितनी तेजी से फैशन और ट्रेंड बदलते हैं उतनी ही तेजी से युवाओं की पसंद भी बदल जाती है। इसी के चलते रेडीमेड गारमेंट युवाओं की पहली पसंद बन गए हैं। रेडीमेड गारमेंट पसंद करने के पीछे क्या है उनकी सोच और नजरिया। आइए देखें जरा-
फैशन के साथ
फैशन के इस दौर में जहां रातों-रात ट्रेंड बदल जाता है। वहां फैशन के हिसाब से रेडीमेड गारमेंट पहनकर ही चला जा सकता है। एम. कॉम. फाइनल इयर की छात्रा सरिता कहती है कि रेडीमेड गारमेंट में फैशन का जो ट्रेंड चल रहा है वह आसानी से मिल जाता है और फैशन के साथ चलने की हसरत भी पूरी हो जाती है।
डिफरेंट लुक
रेडीमेड गारमेंट के बढते चलन के पीछे सबसे बडी बात यह है कि इन्हें फैशन डिजाइनर डिजाइन करते हैं और इसलिए ही ये टेलर से सिलवाए हुए कपडों से हटकर डिफरेंट और मॉडर्न लुक देते हैं। रेडीमेड गारमेंट पहनने को शौकीन कृतिका इसी के चलते ऎसे कपडे पहनना पसंद करती है।
नया पैटर्न
रेडीमेड गारमेंट्स में जितने डिफरेंट पैटर्न और डिजाइन आते हैं उस तरह का पैटर्न फेब्रिक लेकर सिलवाने में नहीं आ पाता है। यही बात है कि युवाओं में ऎसे कपडों के प्रति दीवानगी बढ रही है। कॉलेज स्टूडेंट राजेश का कहना है कि रेडीमेड गारमेंट की तो बात ही कुछ अलग हटकर होती है। इतने मनचाही डिजाइन, रंग और पैटर्न रेडीमेड में ही मिलते हैं।
पाश्चात्य रंगों में ढले
पाश्चात्य संस्कृति को अपनाने वाली आज की युवा पीढी कपडे भी वेस्टर्न टच के ही पहनना पसंद करते हैं। एलएलबी कर रहीं रूचि कहती हैं कि वेस्टर्न आउटफिट्स जैसे जीन्स, स्कर्ट, केप्री आदि का भव्य कलेक्शन सिर्फ रेडीमेड में ही मिलता है।
परेशानियों से छुटकारा
रेडीमेड गारमेंट में फेब्रिक खरीद कर लाने और सिलवाने का कोई झंझट नहीं होता। सीधे बाजार में मनपसंद ड्रेस खरीदकर पहनी जा सकती है।
सस्ता और अच्छा
आजकल ड्रेस मेटेरियल लेकर उसे सिलवाना बहुत महंगा पडता है और टेस्ट का व मनपसंद का रंग भी नहीं मिल पाता है। वहीं दूसरी तरफ रेडीमेड कपडे सस्ते भी और वैरायटी भी न जाने कितनी-कितनी। साथ ही ट्राइल और अल्ट्रेशन की सुविधा भी।
पर्सनेलिटी के अनुरूप
रेडीमेड गारमेंट पहनने से व्यक्तित्व में भी निखार आता है। लेटेस्ट ट्रेंड के हिसाब से बने ये रेडीमेड गारमेंट पर्सनेलिटी को कुछ अलग हटकर लुक देते हैं। ऎसे कपडों के प्रति युवाओं की पसंद को देखते हुए फैशन डिजाइनर अंजली पाटनी का ऎसा कहना है। उनका कहना है कि ये परिधान युवाओं की भीड से अलग दिखने की चाहत को पूरा करते हैं।

Latest trend facinates the youth,and according to latest trend the stiched dresses are out of fashion these days,and everyone want to look trendy and fashionable and for that purpose the Readymade garments are the best option.So Get Ready to be Trendy!!!!!

Saturday 4 April 2009

Fast to Fitness : फास्ट से फिटनेस

नवरात्र में कई यंगस्टर्स, स्पेशली गल्र्स फास्ट रखती हैं। गल्र्स में भी 80 प्रतिशत ऎसी होती हैं, जो फास्ट को फिटनेस फंडा मानते हुए इसे करती हैं। इसीलिए फिटनेस कॉन्शस यूथ फास्ट का दोगुना लाभ उठा रहे हैं। आस्था और फिटनेस का यह मिश्रण आज ट्रेंड बन गया है। यहां तक कि न्यूट्रीशियंस और डायटीशियंस भी यही कहते हैं कि बॉडी को फिट एंड फाइन रखने में फास्ट अहम भूमिका निभाता है। (balanced Diet , nutrition,healthy food,healthy life,)



डायटीशियन कहते हैं कि बॉडी को फिट रखने के लिए फास्ट जरूरी है। हम हमेशा कुछ न कुछ खाते रहते हैं। इससे स्टमक हमेशा कार्य करता रहता है। फास्ट के जरिये स्टमक को रेस्ट मिलता है। बॉडी में जो टॉक्सिन एकत्र हो जाते हैं वो भी फास्ट होने पर पानी के जरिये बॉडी से बाहर निकल जाते हैं। फिजीशियन्स के अनुसार फास्ट करने का भी एक तरीका होता है। इसमें एक समय भूखा रहना चाहिए और फलाहार लेना चाहिए। कई लोग फास्ट तो रखते हैं। लेकिन, मार्केट में मिलने वाले तले-भुने आइटम्स खा लेते हैं। यह स्वास्थ्य को ज्यादा खराब करते हैं। फास्ट में फल और शाकाहार पर ही जोर दिया जाना चाहिए।



मौसम में बदलाव आने से इन दिनों कई तरह के फूड इन्फेक्शन सामने आते हैं। इन सभी तरह के इन्फेकशन से बचाने में भी फास्ट का खास रोल है। न्यूट्रीशियन एक्सपर्ट्स का कहना है कि मोस्टली यंगस्टर्स बाहर का खाना-पीना पसंद करते हैं। इससे कई तरह की त्वचा और पेट संबंधी समस्याएं सामने आती हैं। इसके जरिये इस तरह के फूड इन्फेक्शन से बचा जा सकता है।

Varun`s detention under NSA unfortunate

Veteran Congress leader and Union Minister Arjun Singh today described as "unfortunate" the detention of BJP candidate Varun Gandhi under the National Security Act (NSA) following his hate remarks against Muslims during campaign.

He, however, said Varun`s inflammatory remarks were also unfortunate.

Talking to mediapersons, Mr Singh initially refused to react to a question on the correctness of the detention of Varun under the NSA. But when the question was repeatedly put to him, he said the detention was unfortunate.

A member of the Nehru-Gandhi family, 29-year-old Varun is fighting his maiden electoral battle from the Etah prison in Uttar Pradesh after the Mayawati government in the state detained him under the NSA.

He is the BJP candidate from Pilibhit, a constituency which elected his mother Maneka Gandhi on BJP ticket in the 2004 Lok Sabha elections.