ठंड़ा और गर्म
नए-नए खाद्य पदार्थो और पेय पदार्थो के आकर्षक विज्ञापन देख लोग उनसे प्रभावित होते हैं और उनका सेवन करने लगते हैं। चाहें वे स्वास्थ्य को हानि पहुंचाने वाले ही क्यों न हों। पाश्चात्य सभ्यता, फास्ट फूड़ और कोला कल्चर के प्रभाव से आजकल लोग आहार की गुणवत्ता की अपेक्षा स्वाद पर ज्यादा ध्यान देने लगे हैं। इसी वजह से लोग उन सुखादु व्यंजनों को खाना पसंद करते हैं, जो स्वादिष्ट, चटपटे और विविध प्रकार के स्वाद वाले हों। मीडिया मे नित नए-नए खाद्य पदार्थो और पेयों के आकर्षक विज्ञापन देखकर लोग उनसे प्रभावित होत हैं और उनका सेवन करने लगते हैं, चाहे वे स्वास्थ्य को हानि पहुंचाने वाले ही क्यों न हों।
समय परिवर्तन और जीवनशैली में बदलाव के कारण आजकल आहार-विहार में बहुत सी विकृतियां आ गई हैं। चाउमीन, पिज्जा, भेलपुरी, छोले भटुरे साथ में कोल्ड़ ड्रिंक और आइसक्रीम यानी गर्म के साथ ठंड़े का सेवन नहीं करना चाहिए क्योंकि यह शरीर के लिए हानिकारक है। इस तरह गर्म पर ठंड़े के प्रयोग से आमाशय में उत्पन्न पाचक रसों मे विकार आ जाता है। इससे भोजन से जो ऊर्जा मिलनी चाहिए वह भी नहीं मिलती। अपाच्य भोजन आमाशय और आंतों में ही पड़ा रहता है, जिससे मंदागि्न, कब्जी, गैस आदि विभिन्न पाचन संबंधी रोगों की संभावना रहती है। इन सबके अतिरिक्तमोटापा भी बढ़ता है।
Thursday, 4 June 2009
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