Monday 5 October 2009

इम्यूनिटी बढ़ाए आंवला और जिंक


सर्दी जुकाम दुनिया का सबसे आम रोग है और इससे छुटकारा पाने के तरीके भी सामान्य ही हैं। लेकिन जितनी अवधि तक यह रोग रहता है, हमें परेशान किए रहता है। अभी तक मानव समाज इसका कोई सटीक हल नहीं पा सका है। 12वीं सदी के चिकन सूप से लेकर आधुनिक जमाने के एंटीहिस्टामीन्स तक हमने सब आजमा लिए हैं। लेकिन जिसे खाते ही जुकाम छूमंतर हो जाए वह नुस्खा अभी तक हमें हासिल नहीं हो सका है।आधुनिक दवाओं में दर्द एवं ज्वर निवारक हैं, बंद नाक को खोलने वाली औषधियां हैं। खांसी को बंद करने वाले सिरप हैं, एंटीहिस्टामींस हैं। ये सभी तरीके कुछ हद तक कामयाब हुए हैं, लेकिन पूरी सफलता पाने में कोई काम नहीं आया। सामान्य सर्दी जुकाम होने के बाद उससे निजात पाने के लिए तो तरीके ढूंढ़े गए हैं, लेकिन इसकी रोकथाम के तरीकों को विकसित करने पर ध्यान कम ही दिया गया है। हालांकि आयुर्वेद जैसी प्राचीन परंपरा में रोकथाम पर ध्यान दिया गया है।

रोग प्रतिरोधक क्षमता
आयुर्वेद हमें बताता है कि रोग प्रतिरोधक क्षमता को मजबूत बना कर खांसी, सर्दी, खराब गले की समस्या से ठीक तरीके से निपटा जा सकता है। दूसरी ओर खांसी-जुकाम की आधुनिक दवाएं इस रोग से मुक्ति तो नहीं दे पातीं, किंतु इसके लक्षणों का इलाज करने में कारगर सिद्ध हुई हैं। इसलिए सर्दी जुकाम से निपटने के लिए हमें बहुविध दृष्टिकोण अपनाना होगा यानी इलाज की नई दवाओं के साथ-साथ रोकथाम के पुराने तरीकों को भी मिलाना होगा। इन दोनों को एक करने के लिए हमें बहुत ध्यान से काम करना होगा।

रोकथाम के पुराने तौर तरीके
- आंवला बहुत महžवपूर्ण है। आंवले को खांसी, सर्दी और श्वसनप्रणाली के अन्य संक्रमणों के उपचार हेतु प्रयोग किया जाता है। यह शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाता है। आंवले में संतरे के मुकाबले 20 गुणा विटामिन सी होता है। सेब के मुकाबले आंवले में 3 गुणा अधिक प्रोटीन और 160 गुणा अधिक एस्कॉर्बिक एसिड होता है। आंवले में बहुत से खनिजोंऔर अमीनोएसिड की उच्च मात्रा होती है।
- अदरक की चाय बुखार को तोड़ती है और नाक, गले और फेफड़ों में जमा बलगम को हटाती है। यदि आप बेहद अधिक सर्दी जुकाम की स्थिति से गुजर रहे हैं ,तो दो चम्मच ताजा अदरक लेकर 2 कप पानी में डालें, इसको 30 मिनट तक धीमी आंच पर उबालें, हर दो घंटे बाद इस गुणकारी चाय का आनंद लें।
- सर्दी जुकाम में चिकन और सब्जियों का सूप बड़ा लाभकारी होता है। यदि आप अपने सूप में काली मिर्च मिला लें तो न केवल आपको कई प्रकार की पीड़ाओं से राहत मिलेगी बल्कि यदि बुखार है तो वह भी कम होगा।
- हर्बल चाय ऎसे में लाभकारी होती है। चंद्रगंधा की चाय या नीबू अथवा अदरक की चाय राहत प्रदान करती है। लहसुन भी जुकाम के इलाज में सहायक है।
- गर्म और चटपटी जड़ी बूटियां जैसे काली मिर्च, सूखी अदरक या चित्रक खांसी और सर्दी में फायदेमंद होती हैं।

आधुनिक उपचार
- जिंक ऎसिटेट एवं जिंक ग्लूकोनेट का प्रयोग नेजल स्प्रे और नेजल जैल में किया जाता है। रोग प्रतिरोधक क्षमता में इजाफा करने की इसकी क्षमता के चलते इसका इस्तेमाल जुकाम ठीक करने वाली गोलियों में किया जाता है। हाल में हुए एक अध्ययन के परिणामों से मालूम चला कि जिंक की खुराक सर्दी जुकाम की अवधि को कम करती है। इस अध्ययन में जुकाम ग्रस्त लोगों को मीठी चूसने वाली गोलियों में जिंक को संयोजित करके दिया गया। नतीजे में पाया गया कि इन लोगों को जुकाम कम समय तक रहा, उन लोगों की तुलना में जिन्होंने जिंक का सेवन नहीं किया। वर्कज से हमें जिंक की पर्याप्त मात्रा मिल जाती है।
- खांसी के सिरप, गले के स्प्रे या ओटीसी पेन/कोल्ड दवाएं प्रयोग करें। साथ में गुनगुने नमकीन पानी का गरारा करें, खूब पानी पिएं और पूरा आराम करें।
- बंद नाक खोलने के लिए नेजल ड्रॉप्स प्रयोग करें या बाम मिलाकर गर्म पानी की भाप लें।
- अमरीकन लंग्स एसोसिएशन सलाह देती है कि कॉफी,
चाय, कोला पेयों से परहेज करें। शराब से भी दूर रहें। इन सभी चीजों से शरीर में पानी की कमी हो जाती है।
- पारंपरिक उपचारों और आधुनिक दवाओं दोनों का संयोजन करता है खांसी जुकाम में काम।
- सर्दी खांसी जुकाम से निपटने के लिए हमारे पास कोई एक सटीक रामबाण औषधि नहीं है। इसलिए हमें इन रोगों के निपटने के लिए बहुविध योजना अपनानी होगी। जिंक और आंवले का संयोजन बहुत कारगर है।

आंवला बरसों से विटामिन सी का सर्वोत्तम स्रोत रहा है । वैज्ञानिक आधार पर सिद्ध हो चुका है कि जिंक रोगप्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाता है। इन दोनों के सेवन से शरीर का सुरक्षा तंत्र इतना मजबूत हो जाता है कि रोगाणु अधिक समय तक हमें प्रभावित नहीं
कर पाते। इस प्रकार बदलते मौसम के इन सामान्य संक्रमणों को पछाड़ने में और हमें फिट रखने में पुराने और नए तरीकों का सम्मिश्रण सबसे सटीक साबित होता है। इन दिनों आंवले और जिंक की खुराक लेने के लिए आप प्रतिदिन एक वर्कज का सेवन कर सकते हैं।

Thursday 1 October 2009

अंगुलियां बताए भविष्य


भविष्य पुराण के अनुसार जिनकी अंगुलियों के बीच छिद्र होता है, उन्हें आमतौर पर धन की तंगी रहती है। जिन लोगों की अंगुलियां आपस में सटी हुई होती हैं वे व्यक्ति धनी होते हैं। वरूण पुराण के अनुसार सीधी अंगुलियां शुभ एवं दीर्घायुकारक होती है।

- पतली अंगुलियां तीव्र स्मरण शक्ति का संकेत करती हंै।
- मोटी अंगुलियां धन के अभाव का संकेत करती है।
- चपटी अंगुलियां किसी के अधीन होकर कार्य करने की द्योतक मानी जाती हैं।

- जिन अंगुलियों के अग्रभाग नुकीले होते हैं ऎसे व्यक्ति दया, प्रेम, करूणावान होते हैं और कलाकार, संगीतकार होते हैं।

- चपटी अंगुलियों वाले व्यक्ति आत्मविश्वासी, परिश्रमी, लगनशील होते हैं। कार्यकुशल ऎसे व्यक्ति व्यवस्थित जीवन जीने वाले होते हैं।

- नुकीली अंगुलियों वाले व्यक्ति भावुक होते हैं। इनमें आत्मविश्वास की कमी पाई जाती है। इनकी जिंदगी में उतार-चढ़ाव बहुत आते हैं। इनके विचार तथा कल्पनाएं सुंदर होती हैं।

- वर्गाकार अंगुलियों वाले व्यक्ति दूरदर्शी, व्यवस्थित जीवन व्यतीत करने वाले, अनुशासन प्रिय होते हैं। आत्मविश्वास से भरे हुए ऎसे व्यक्ति परिश्रमी होते हैं।