Friday 31 July 2009

Mightier Media is need of the hour: Meira Kumar

KCK International Award Ceremony 2008 held at Taj ; Harinder Baweja and team wins 2nd KCKI award of US$ 11,000 ; Ashok Gehlot praises restrained media; 10 merit award also conferred
Delhi, 31st July:
Media came in for high praise on Friday for its restrained role in times of crisis at the KCK International award ceremony today. The second KCK award for excellence in print journalism was conferred to Harinder Baweja and her team members by Meira Kumar, Speaker, Lok Sabha and Ashok Gehlot, Chief Minister, Rajasthan at hotel Taj Palace. Addressing the august gathering attended by the senior politicians, officials, literati and media persons, chief guest of the function Meira Kumar said that incisive reporting of the issues is need of the hour in conflict ridden world and there is need for a silent revolution. Appreciating the efforts of the winning team Kumar said that striving for truth and objectively, journalists ought to rise above the jingoism that may do more harm than good to the nations. Meira Kumar traced her connection with Rajasthan by referring to her student life spent at Vanasthali Vidyapeeth. She said that the stay in Rajasthan was a memorable period of her life.
Speaking from his long experience Gehlot lauded the media for restoring faith in humanity by their objective reportage of critical events. Referring to social initiatives by Patrika group he said that media campaigns contribute to bringing the marginalized people into mainstream. Expressing concern over nadir of social values he highlighted need for national debate.
Talking about the global trends in journalism Gulab Kothari, Chief Editor, Patrika group cautioned the journalists against the ephemeral temptations for fame. He urged the new journalist to pursue free and fearless journalism contributing to positive change in society.
The winning team was given a cash prize of $ 11,ooo with medal and certificate. The award instituted last year in the memory of the founder of Patrika group Karpoor Chandra ‘Kulish’, is given to the team of a daily newspaper to recognize contributions of print journalists upholding the social values with deep sense of respect for the profession. The winning story series ‘Welcome to the Headquarters of Lashkar – e - Tayyeba’ published in the Hindustan Times in December, 08 was selected as the best from among 173 entries received from across the world. Other members of the winning team copy editor Atulendra Nath Chaturvedi and art director Ujma Moshin also received certificate and medal at the function.
A total of 155 Indian and 18 foreign stories from 48 Indian and 11 foreign newspapers, including those of USA, France, Serbia, Mauritius, Egypt, Sri Lanka, Afghanistan and Pakistan were received as entries for this year award theme ‘Terrorism and Society’. N Ram, Editor in Chief, The Hindu, N Ravichandran, Director, IIM, Indore, Aruna Roy, Social Activist and Gulab Kothari, Chief Editor, Patrika group constituted the jury panel. The HT had been the joint winner of the first KCK International award 2007 last year with Dawn, Pakistan.
Dignitaries at the function
The function was attended by the dignitaries including Murli Manohar Joshi, Lalu Prasad Yadav, Ramvilas Paswan, Madan Lal Khurana, Sachin Pilot, Mahadev Singh Khandela, Ustad Amjad Ali Khan, Sheeshram Ola, Madan Lal Khurana, Namonarayan Meena, Bhawani Singh Rajawat, Jyoti Mirdha, Sam Balsara, SK Roongta and others.
10 teams win Merit Award and appreciation
1. India’s Porous Borders ; Hindustan Times , Chandigarh/ New Delhi ; Kanwar Sandhu, Manish Tiwari, Sunita Aron, Arun Joshi, Rahul Karmakar)
2. Is atankwadi ki khata kya thi ; Hindustan, Lucknow; Dayashankar Shukla, Neelmani, Nasiruddin
3. Ab shuru hua operation Ajamgarh ; Amar Ujala, Varanasi ; Tirvijay Singh and Praveer Sharma
4. Atank ka Arthshastra; Dainik Jagran, New Delhi; Anshuman Tiwari, Prashant Mishra, Vishnu Tripathi, Dinesh Chandra, Rajkishore
5. Violence in India is fueled by religious and economic divide; The New York Times, USA; team: Hari Kumar & Heather Timmons
6. Mumbai’s terror makes Mohali bleed; Indian Express, Chandigarh; Nitin Jain, Jasbir Malhi, Kamleshwar Singh
7. Azamgarh : District in discomfort; The Tribune, Chandigarh; Shahira Naim, Dr. Eashwar Anand, Kuldeep Dhiman
8. He loved Hollywood’s cop vs baddies movies Hindustan Times, New Delhi/Kolkata; Rahul Karmakar, Digambar Patowary
9. Lunch Hours, Evening are chosen for terror strikes ; The Tribune, Chandigarh; Prabhjot Singh and team
10. What branches grow in this stony rubbish?; The Daily Mirror, Sri Lanka; Jamila Najimuddin and team

शांतिपूर्ण क्रांति की जरूरत

नई दिल्ली। राजस्थान पत्रिका समूह के संस्थापक कर्पूर चन्द्र कुलिश की स्मृति में देश के सबसे बड़े अंतरराष्ट्रीय पत्रकारिता पुरस्कार केसी कुलिश इंटरनेशनल अवार्ड फॉर एक्सिलेंस इन प्रिंट जर्नलिज्म का भव्य और गरिमापूर्ण समारोह शुक्रवार को नई दिल्ली के ताज पैलेस होटल में आयोजित किया गया। समारोह की मुख्य अतिथि लोकसभा अध्यक्ष मीरा कुमार ने इस अवसर पर अपने संवेदनशील सम्बोधन में कहा कि आज देश में शांतिपूर्ण क्रांति की आवश्यकता है। आप जहां हैं, वहीं से लोगों के मानस में बदलाव कर समाज को बेहतर बना सकते हैं। समारोह की अध्यक्षता करते हुए राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने कहा कि आज समाज के हर क्षेत्र में आ रही गिरावट चिंता का विषय है और इस पर राष्ट्रीय बहस की आवश्यकता है।

दस को मेरिट अवार्ड

समारोह में दस मेरिट अवार्ड भी दिए गए। इनमें हिन्दुस्तान टाइम्स, चण्डीगढ़ के कंवर संधु की टीम को "इण्डियाज पोरस बोर्डर्स", हिन्दुस्तान, लखनऊ के दयाशंकर शुक्ला की टीम को "इस आतंकवादी की खता क्या थी", अमर उजाला, वाराणासी के तिरविजय सिंह की टीम को " अब शुरू हुआ ऑपरेशन आजमगढ़", दैनिक जागरण, नई दिल्ली के अंशुमन सिंह की टीम को "आतंक का अर्थशास्त्र", न्यूयॉर्क टाइम्स, अमरीका के हरिकुमार एवं हीदर टिमोन्स को "वायलेंस इन इण्डिया", इण्डियन एक्सप्रेस, चण्डीगढ़ के नितिन जैन की टीम को "मुम्बईज टेरर मेक्स मोहाली ब्लीड", द ट्रिब्यून, चण्डीगढ़ की शाहिरा नईम की टीम को " आजमगढ़: डिस्ट्रिक्ट इन डिस्कम्फर्ट", हिन्दुस्तान टाइम्स, गुवाहाटी के राहुल करमाकर की टीम को "ही लव्ड हॉलीवुड़ कॉप वर्सेज बडीज मूवीज", द ट्रिब्यून, चण्डीगढ़ के प्रभजोत सिंह को "लंच ऑवर्स, इवनिंग आर चूजन फॉर टेरर स्ट्राइक्स" और डेली मिरर, श्रीलंका कीजमीला नजीमुद्दीन को "वाट ब्रांचेज ग्रो इन दिस स्टोनी रबिश" खबरों के लिए पुरस्कृत किया गया।

173 प्रविष्टियां मिलीं

पुरस्कार का चयन 2008 में एक जनवरी से 31 दिसम्बर तक प्रकाशित समाचारों में से किया गया। चयन मण्डल को अमरीका, फ्रांस, सर्बिया, मॉरिशस, मिश्र, पाकिस्तान, अफगानिस्तान और श्रीलंका सहित दुनिया भर के मीडिया संस्थानों से 173 प्रविष्टियां प्राप्त हुई। पुरस्कार चयन मण्डल में देश के प्रतिष्ठित समाचार पत्र द हिन्दू के एडीटर इन चीफ एन. राम, आईआईएम, इंदौर के निदेशक एन. रविचन्द्रन, मेग्सेसे पुरस्कार से सम्मानित अरूणा रॉय और पत्रिका समूह के प्रधान सम्पादक गुलाब कोठारी शामिल रहे। पत्रकारिता के साथ ही विज्ञापनों के सामाजिक महत्व को भी पत्रिका समूह ने समझा है। इसी दृष्टिकोण से पिछले एक दशक से सामाजिक क्षेत्र से जुड़े श्रेष्ठ विज्ञापनों को पत्रिका समूह की ओर से कन्सन्र्ड कम्यूनिकेटर अवार्ड दिया जा रहा है। गत वर्ष से इस पुरस्कार की राशि भी कर्पूर चन्द्र कुलिश की स्मृति में 11 हजार अमरीकी डॉलर की जा चुकी है।

मूल्यों में गिरावट चिंता का विषय: गहलोत

मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने कहा है कि केसी कुलिश अवार्ड के लिए (आतंकवाद और समाज) जो विषय चुना है। उससे इस अवार्ड का महत्व और बढ़ गया है। देश के सामने आज आतंकवाद और नक्सलवाद सहित कई चुनौतियां हैं। उन्होंने कहा कि आजादी के बाद इस साठ साल के दौर में मूल्यों में गिरावट आना चिन्ता का विषय है। अब सोच समझकर आगे बढ़ना होगा।

उन्होंने कहा कि राजस्थान पत्रिका समूह के संस्थापक कर्पूर चन्द्र कुलिश संघर्षशील व्यक्तित्व के धनी थे। आजादी के बाद वे पत्रकारिता में आगे आए। आज राजस्थान पत्रिका प्रदेश के हर घर में अपनी पहचान रखती है। पत्रकारिता ही नहीं सामाजिक सरोकारों में भी राजस्थान पत्रिका का कोई सानी नहीं।
गुजरात व महाराष्ट्र का भूकम्प, करगिल युद्ध व अन्य कई मौकों पर पत्रिका ने आगे आकर समाज हित के लिए कार्य किया है। यही कारण है कि लोग आज पत्रिका समूह को सहयोग दे रहे हैं। पत्रिका समूह ने केसी कुलिश अवार्ड शुरू कर अच्छा कदम उठाया है। प्रतिभा की खोज करना बड़ी बात है। इस अवार्ड से युवा पीढ़ी में उत्साह बढ़ेगा।

पत्रकारिता चमत्कार नहीं, श्रम-कर्म और कौशल है: कोठारी

पत्रकारिता चमत्कार नहीं। श्रम है, कर्म है, कौशल है और पत्रकार इनकी आत्मा है। शेष सभी साधन है। पत्रकारिता सिखाई जा सकती है। पत्रकार पैदा होते हैं या समय की धार पर तैयार होते हैं। यह कहना है पत्रिका समूह के प्रधान सम्पादक गुलाब कोठारी का। उन्होंने कहा कि मीडिया की भूमिका पर आज जितने प्रश्न उठने लगे हैं, पहले कभी नहीं उठे। गुजरात के दंगे रहे हों या मुम्बई का आतंककारी हमला, लोग कहने लगे हैं कि धीरे-धीरे पत्रकारिता का मूल उद्देश्य छूटता जा रहा है। व्यापार और मनोरंजन हावी हो रहा है।
आज पूरा विश्व आतंकवाद से आतंकित है। ऎसे में इस नई पत्रकारिता के दम पर कैसे लोगों में प्राण फूंकेंगे? पत्रकारिता को अन्य सभी हितों से ऊपर उठकर देशहित के लिए संकल्पित हो जाना चाहिए।

उन्होंने कहा कि राजस्थान पत्रिका किसी उद्योगपति अथवा धनाढ्य परिवार का समाचार पत्र नहीं है। श्रद्धेय बाबूसा ने मात्र 500 रूपए की उधार की रकम से इसे शुरू किया था। आज उस उधार को समाज को लौटाने का विनम्र प्रयास कर रहे हैं। जैसा बीज होता है वैसा ही पेड़ होता है और वैसे ही फल लगते हैं। इस अखबार का सत्य यही है कि पिछले पांच दशकों में इसे संकल्प से ही सींचा गया है। आज पत्रिका समूह के अखबार प्रतिदिन लगभग दो करोड़ पाठकों द्वारा पढ़े जा रहे हैं। देश के बड़े पांच हिन्दी अखबारों में इसका स्थान है।


उन्होंने कहा कि जिनके नाम (कर्पूर चन्द्र कुलिश) से यह अवार्ड दिया जा रहा है, और राजस्थान पत्रिका सदा एक-दूसरे के पर्याय ही बने रहे। एक ही लक्ष्य, एक ही स्वप्न और सम्पूर्ण जीवन यात्रा की एक ही कहानी। इसीलिए पत्रिका आज आत्मा का, आत्मीयता का अखबार बन पाया है। लोग अपने धर्म ग्रन्थों की तरह इस पर विश्वास करते हैं।

इसमें लिखे हुए को जीवन में उतारने का प्रयास भी करते हैं। ऎसे अनेक अवसर आ चुके हैं, जब पूरे प्रदेश ने पत्रिका के साथ खड़े होकर दिखाया। मध्यप्रदेश के भोपाल में तो एक आह्वान पर डेढ़ लाख लोग तालाब में श्रमदान करने पहुंच गए। केसी कुलिश अवार्ड भी आज की पत्रकारिता को नए सिरे से पल्लवित और पुष्पित करने का प्रयास है।

पुरस्कार हरिन्दर बवेजा को

देश के कई वरिष्ठ राजनेताओं, केन्द्रीय मंत्रियों, सांसदों, विधायकों, संगीत, फैशन, विज्ञापन व कॉरपोरेट जगत की हस्तियों की मौजूदगी में हुए इस समारोह में इस वर्ष का केसीके अवार्ड वरिष्ठ पत्रकार हरिन्दर बवेजा और उनकी टीम को हिन्दुस्तान टाइम्स में प्रकाशित उनकी स्टोरी वेलकम टू द हैडक्वार्टर्स ऑफ लश्कर-ए-तैयबा के लिए केसीके पुरस्कार प्रदान किया गया। पुरस्कार के रूप में उन्हें प्रशस्ति पत्र, मैडल और 11 हजार अमरीकी डॉलर का चैक दिया गया।

इस वर्ष पुरस्कार की थीम आतंकवाद और समाज रखी गई थी। इस विषय पर आधारित देश-विदेश के प्रमुख समाचार पत्रों में प्रकाशित दस समाचारों को मेरिट अवार्ड भी दिए गए। अंत में राजस्थान पत्रिका के डिप्टी एडीटर भुवनेश जैन ने धन्यवाद दिया। संचालन सहायक महाप्रबंधक प्रवीण नाहटा ने किया।

बहुत पुराना सम्बन्ध है राजस्थान से

इस मौके पर लोकसभा अध्यक्ष मीरा कुमार ने अपनी चिर-परिचित गम्भीर और संवेदनशील शैली में अपना उद्बोधन दिया और कहा कि राजस्थान से उनका बहुत पुराना सम्बन्ध है। उन्होंने कहा कि मैं वनस्थली विद्यापीठ में थी और बहुत समय जयपुर में रही। यह वह समय था, जब मैं अपने जीवन के लिए तैयार हो रही थी, इसलिए आज मुझ में जो भी अच्छी बात है उसकी वजह राजस्थान है। उन्होंने कहा कि पत्रिका समूह के प्रधान सम्पादक गुलाब कोठारी से उनका परिचय जयपुर में तब हुआ था, जब वे सामाजिक न्याय व अघिकारिता मंत्री के नाते विकलांगों के एक कार्यक्रम मे गई थीं और वहां गुलाब कोठारी भी आए थे। तभी मुझे लगा था कि वे संवेदनशील व्यक्ति हैं।

उन्होंने कहा मैं इस कार्यक्रम में आई ही इसलिए हूं कि गुलाब कोठारी उस कार्यक्रम में आए थे। यह संवेदनशीलता का सम्बन्ध है।

हिन्दी की बेचारगी खत्म कीजिए

मीरा कुमार ने कहा कि हिन्दी वास्तव में बहुत बेचारी भाषा हो गई है, लेकिन इसकी बेचारगी खत्म होनी चाहिए। हर भाषा की अपनी गरिमा और सौष्ठव होता है। इससे खिलवाड़ नहीं होना चाहिए। उन्होंने कहा कि मैं राजस्थान पत्रिका का सोमवार और गुरूवार का अंक जरूर पढ़ती हूं, क्योंकि इसमें अक्षर यात्रा आता है, जो हर अक्षर के महत्व को बताता है। हिन्दी के लिए राजस्थान पत्रिका के इस प्रयास को मैं साधुवाद देना चाहती हूं।

हमारा भी कर्ज है

मीरा कुमार ने कहा कि कुलिश ने यह समाचार पत्र 500 रूपए के कर्ज से शुरू किया था और पत्रिका आज अपने तरीके से यह कर्ज चुका रहा है। हम सभी का भी समाज के प्रति कुछ कर्ज है जिसे हमें चुकाना चहिए।

तमसो मा ज्यातिर्गमय

मीरा कुमार ने कहा कि इस समारोह की शुरूआत दीप प्रज्जवलन से हुई है, इसलिए मेरी कामना है कि पत्रकारिता अंधकार से प्रकाश की ओर ले जाए, सत्य से असत्य को दूर करे और हम जो मरणासन्न हैं उन्हें जीवन प्रदान करे। उन्होंने कहा कि पत्रिका ने यह पुरस्कार शुरू कर विश्व को जोड़ा है।

...तो गिरफ्तार हो जाती

पुरस्कार प्राप्त करने वाली वरिष्ठ पत्रकार हरिन्दर बवेजा ने पुरस्कृत स्टोरी की जानकारी देते हुए कहा कि इस स्टोरी को करने से पहले मैंने अपने सम्पादक तरूण तेजपाल से कहा था कि लश्कर-ए-तैयबा के मुख्यालय जाऊंगी तो गिरफ्तार कर ली जाऊंगी, इस पर मेरे सम्पादक ने कहा कि गिरफ्तार हो जाओगी, तो और अच्छी स्टोरी बन जाएगी। उन्होंने कहा कि इस स्टोरी के लिए उनकी सहायता पाकिस्तान के एक वरिष्ठ राजनेता ने की जो साबित करता है कि वहां के राजनेता ऎसे संगठनो को प्रश्रय देते हैं।

कई दिग्गज हस्तियां पहुंची

अवार्ड समारोह में पूर्व केन्द्रीय मंत्री व सांसद लालूप्रसाद यादव, रामविलास पासवान, शरद यादव, मुरली मनोहर जोशी, शीशराम ओला, अखिलेशप्रसाद यादव, राजस्थान के पूर्व राज्यपाल मदनलाल खुराना, भाजपा के राष्ट्रीय संगठन महामंत्री रामलाल, भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष अरूण चतुर्वेदी, केन्द्रीय मंत्री भरत सिंह सोलंकी, टॉम बदक्कन, नमोनारायण मीणा, महादेव खण्डेला, सचिन पायलट, राज्यसभा सांसद ज्ञानप्रकाश पिलानिया, सांसद ताराचंद भगोरा, ज्योति मिर्घा, बद्रीराम जाखड़, रघुवीर मीणा, प्रभा ठाकुर, खिलाड़ीराम बैरवा, लालचंद कटारिया, हरीश चौधरी, इज्येराज सिंह, अतुलकुमार अंजान, रतन सिंह, भाजपा नेता रविशंकर प्रसाद, सुमित्रा महाजन, कांग्रेस महासचिव जनार्दन द्विवेदी, प्रवक्ता मोहन प्रकाश, अभिषेक मनु सिंघवी, कांग्रेस के राष्ट्रीय सचिव भंवर जितेन्द्र सिंह, वेदप्रकाश, राष्ट्रीय कोषाध्यक्ष मोतीलाल वोरा, फैशन डिजाइनर राघवेन्द्र राठौड़, सरोद वादक उस्ताद अमजद अली खान, मध्यप्रदेश के जनसम्पर्क मंत्री लक्ष्मीकांत शर्मा, विधायक ओम बिड़ला, भवानी सिंह राजावत, रामकेश मीणा, कर्नल सोनाराम व कांग्रेस के वरिष्ठ नेता राजीव शुक्ला सहित बड़ी संख्या में लोग मौजूद थे।

कॉरपोरेट जगत से भी

समारोह में कॉरपोरेट की प्रमुख हस्तियां भी शामिल रहीं। इनमें स्टारकॉम के दक्षिण एशिया प्रमुख रवि किरन, एमिटी यूनिवर्सिटी के असीम चौहान, मेडिसिन एडवर्टाइजिंग के सेम बलसारा, आर.के. स्वामी एडवर्टाइजिंग के शेखर स्वामी, स्टील अथॉरिटी ऑफ इण्डिया के चेयरमैन एस.के. रूंगटा, सूर्या फू ड्स के शेखर अग्रवाल, होण्डा स्कूटर्स के वाइस प्रेसीडेण्ट ज्ञानेश्वर सेन, फैशन डिजाइनर राहुल जैन, मारूति इण्डस्ट्रीज के मार्केटिंग निदेशक मयंक पारीक, आकाश इंटरनेशनल के निदेशक जे.सी. चौधरी आदि शामिल हैं।

Easy step to get Six pack abbs



सिक्स पैक एब्स

बॉलीवुड ने "सिक्स पैक एब्स" के रूप में युवाओं को ऎसा शगल दिया है जिसे हर कोई पाना चाहता है। यदि आप भी ऎसा चाहते हैं लेकिन अपनी "एब्स" देख पाने में सक्षम नहीं हो पा रहे हैं तो चिंता मत कीजिए। 6 आसान आदतों को अपनाकर आपको "फिट लुकिंग फिजिक" पाने में बेहद मददगार हो सकती हैं बशर्ते आप इन्हें समन्वित एवं नियमित रूप से अपने जीवन में उतारें।

सुबह उठने के बाद पानी पिएं
कल्पना करें यदि काम करते समय हम पूरे दिन में ना तो चाय/ कॉफी पिएं, ना ही पानी, ऎसा करने पर 8 घंटे की शिफ्ट के बाद हमारी हालत खराब होना स्वाभाविक है। इसी तरह पूरी रात सोने के बाद सुबह उठें और बॉडी को रिहाइड्रेट ना करें तो स्थिति विकट हो जाती है। यही वजह है कि सुबह उठते ही तीन-चार ग्लास ठंडा पानी पीना बेहतर स्वास्थ्य के लिए अत्यावश्यक है।

नाश्ता नियमित रूप से करें
मेसाच्यूसेट्स विश्वविद्यालय का एक अध्ययन बताता है कि सुबह नाश्ता नहीं करने वाले व्यक्तियों में पेट के उभार की समस्या उन व्यक्तियों से साढ़े चार गुना ज्याद होती है जो नियमित रूप से नाश्ता करते हैं। इसलिए प्रात: उठने के बाद एक घंटे के भीतर कुछ खाना अथवा प्रोटीन शेक लेना जिससे कम से कम 250 कैलोरीज मिल सके, अपेक्षित होता है। ब्रिटिश शोधकर्ताओं ने पाया है कि "ब्रेकफास्ट साइज", "वेस्ट साइज" के विलोमानुपाती होता है। इसका मतलब है भरपूर नाशता करना आपकी कमर के माप को कम करता है। लेकिन घ्यान रखें, नाश्ते की भरपूरता के निर्धारण में तार्किकता का ध्यान अवश्य ही रखा जाए। इस संदर्भ में डायटीशियन की मदद भी ली जा सकती है।

टार्गेट सामने रखें
आयोवा विश्वविद्यालय के वैज्ञानिकों ने एक शोध में पाया है कि जो व्यक्ति अपने खान-पान और व्यायाम पर नजर रखते हुए अपने लक्ष्य को सामने रखते हैं, वे लक्ष्य को प्राप्त भी जल्दी करते हैं। इस तरह उद्देश्य सामने ना रखना आपके सारे प्रयासों को निष्फल कर सकता है।

निर्धारित मात्रा में ही लंच करें
आप स्वयं लंच की मात्रा तय ना कर पाएं तो डायटीशियन आपकी मदद कर सकते हैं। लंच की निर्धारित मात्रा से आपको फायदा यह होगा कि आपके शरीर को पर्याप्त कैलोरीज भी मिलेगी और आप ज्यादा खाने से भी बच जाएंगे।

देर तक न जागें
"सिक्स पैक" के लिए पर्याप्त सोना भी आवश्यक है। देर तक जागने से फैट बर्न करने की आपकी क्षमता को प्रभावित करने वाले हॉर्मोüस पर विपरीत प्रभाव पड़ता है। शिकागो विश्वविद्यालय के वैज्ञानिकों ने हाल ही एक अध्ययन में पाया है कि केवल 3 रात भी पर्याप्त ना सोया जाए तो मांसपेशियों की कोशिकाएं इंसुलिन हॉर्मोन के लिए प्रतिरोधी हो जाती हैं। परिणामत: आपके पेट के चारों ओर वसा का जमना शुरू हो जाता है।
सही तरीके से अभ्यास करें
वांछित लक्ष्य पाने के लिए वेट लिफ्टिंग, रनिंग, एरोबिक एक्सरसाइज जैसी कई विधियां हैं जिनमें से आप टे्रनर की सहायता से अपने लिए अनुकूल विधि को चयनित कर सकते हैं। समुचित रूप से किए गए अभ्यास आपके लक्ष्य को आपके काफी करीब ला सकते हैं।

Thursday 30 July 2009

आप व्यवसाय करेंगे या नौकरी

कोई व्यक्ति व्यापार करेगा या नौकरी, इसका पता दशमांश वर्ग से किया जाता है। नौकरी या व्यवसाय में सफलता या असफलता का पता भी इससे लगता है। हो सकता है कि आम व्यक्ति यह नहीं समझ सके की दशमांश वर्ग क्या है, इसलिए आइए इसे समझें। राशि के अंशों के दस समान भाग करने पर जो वर्ग बनता है, उसे दशमांश कहते हैं। जन्म कुंडली के दसवें भाव से व्यक्ति का कर्म क्षेत्र जाना जाता है कि वह व्यापार करेगा या नौकरी। उसकी नौकरी या व्यवसाय बिना किसी रूकावट के चलता रहेगा या कोई परेशानी आएगी।

यदि दशमेश और दशम भाव में स्थित ग्रह दशमांश वर्ग में प्रबल हो, व्यक्ति को व्यवसाय में सफलता विशेष रूप से मिलती है। व्यक्ति व्यवसाय करेगा या नौकरी इसके लिए भी कुंडली में दशम भाव में स्थित ग्रह दशमांश कुंडली में स्थिर राशि और शुभ ग्रहों से युक्त होंगे, तभी सफलता मिलेगी। दशमांश के लग्न का स्वामी और लग्नेश दोनों एक ही तžव राशि के और शुभ हों।

इसके विपरित यदि दशम भाव स्थित ग्रह दशमांश कुंडली में चर राशि में स्थित हो और अशुभ ग्रहों से युक्त हों, तो व्यक्ति नौकरी करता है। दशमांश वर्ग, लग्न स्वामी और लग्नेश में परस्पर शत्रुता व्यवसाय में अस्थिरता लाती है। दशमांश में ग्रह विशेष शुभ हैं और कुंडली में भी ग्रह शुभ योगों में हैं, तो नौकरी हो या व्यापार दोनों में ही व्यक्ति उच्च कोटि का काम करता है। एक पदाधिकारी की कुंडली में नौकरी से संबंधित ग्रह उच्च कोटि में होंगे, तभी वह अधिकारी पद पर पहुंचता है। एक व्यापारी की कुंडली में व्यापार से संबंधित ग्रह दशमांश और कुंडली दोनों में शुभ स्थित में होते हैं।
-राजेश वर्मा

Monday 27 July 2009

दूसरा केसीके अवार्ड फिर हिन्दुस्तान टाइम्स को

"पत्रिका" के संस्थापक कर्पूरचंद्र कुलिश की स्मृति में पिछले वर्ष शुरू किए गए इस अवार्ड का द्वितीय पुरस्कार समारोह 31 जुलाई को नई दिल्ली के होटल ताज पैलेस में होगा। पुरस्कार के तहत 11 हजार अमरीकी डॉलर और ट्रॉफी प्रदान की जाएगी। समारोह में लोकसभा अध्यक्ष मीरा कुमार मुख्य अतिथि होंगी, अध्यक्षता राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत करेंगे।

पिछली बार हिन्दुस्तान टाइम्स पाकिस्तान के समाचार पत्र डॉन के साथ इस पुरस्कार का संयुक्त विजेता था। पत्रिका समूह पिछले एक दशक से सामाजिक क्षेत्र से जुड़े श्रेष्ठ विज्ञापनों के लिए देश का बहुप्रतिष्ठित कन्सर्न्ड कम्युनिकेटर पुरस्कार भी प्रदान कर रहा है। यह अवार्ड राशि भी अब 11000 अमरीकी डॉलर है।

इस बार केसीके पुरस्कार की थीम "आतंक एवं समाज" रखी गई। इसके लिए 1 जनवरी से 31 दिसम्बर 2008 तक प्रकाशित खबरों को पुरस्कार चयन में शामिल किया गया। केसीके पुरस्कार के लिए "वेलकम टू द हेडक्वार्टर्स ऑफ लश्कर-ए-तोएबा" शीर्षक वाली न्यूज सीरीज को चुना गया है। ये खबरें तहलका मेग्जीन की वरिष्ठ पत्रकार हरिन्दर बवेजा एवं उनके सहयोगियों ने लिखी थीं। इनका प्रकाशन हिन्दुस्तान टाइम्स में दिसम्बर 2008 में हुआ।

इस एक्सक्लूजिव सीरिज के जरिए पाकिस्तान में लश्कर-ए-तोएबा मुख्यालय की गतिविघियों एवं इसकी विचारधारा से वहां के लोगों के जुड़ाव तथा मुम्बई आतंकी हमले के एकमात्र जीवित आरोपी कसाब के इस संगठन से सम्बंधो का खुलासा किया गया। किसी भारतीय पत्रकार को पहली बार लश्कर-ए-तोएबा मुख्यालय के भीतर जाने की अनुमति मिली थी।

इस बार अमरीका, फ्रांस, सर्बिया, मॉरिशस, मिश्र, श्रीलंका, अफगानिस्तान और पाकिस्तान समेत दुनिया भर के मीडिया संस्थानों से 173 प्रविष्ठियां प्राप्त हुई। इनमें देश के 48 समाचार पत्रों से 145 एवं अन्तरराष्ट्रीय मीडिया के 11 समाचार पत्रों से 28 प्रविष्ठियां आई। विजेता का चयन चार सदस्यीय चयन मण्डल की राय के आधार पर किया गया। चयन मण्डल में द हिन्दु के एडीटर इन चीफ एन. राम, आईआईएम इंदौर के निदेशक एन. रविचन्द्रन, प्रमुख समाजसेवी मेग्सेसे पुरस्कार विजेता अरूणा रॉय और पत्रिका समूह के प्रधान सम्पादकगुलाब कोठारी शामिल हैं।

विजेता के अलावा दस श्रेष्ठ प्रविष्टियों को मेरिट पुरस्कार के लिए चुना गया है। इनमें हिन्दुस्तान टाइम्स, नई दिल्ली कीरिपोर्ट "इण्डियाज पोरस बोर्डर्स", हिन्दुस्तान, लखनऊ की "इस आतंकवादी की खता क्या थी", अमर उजाला, वाराणासी की "अब शुरू हुआ ऑपरेशन आजमगढ़", दैनिक जागरण, नई दिल्ली की "आतंकका अर्थशास्त्र", न्यूयॉर्कटाइम्स, अमरीका की वायलेंस इन इण्डिया, इण्डियन एक्सप्रेस, चण्डीगढ़ की "मुम्बईज टेरर मेक्स मोहाली ब्लीड", द ट्रिब्यून, चण्डीगढ़ की "आजमगढ़: डिस्ट्रिक्ट इन डिस्कम्फर्ट", हिन्दुस्तान टाइम्स, नई दिल्ली/कोलकाता की "ही लव्ड हॉलीवुड्ज कॉप वर्सेज बडीज मूवीज", द ट्रिब्यून की "लंच ऑवर्स, इवनिंग आर चूजन फॉर टेरर स्ट्राइक्स" और डेली मिरर, श्रीलंका की "वाट ब्रांचेज ग्रो इन दिस स्टोनी रबिश" खबरों को चुना गया है।

ललाट पर तिलक की परंपरा


हमारी संस्कृति में किसी भी पूजा, पाठ, यज्ञ, अनुष्ठान आदि का शुभारंभ श्रीगणेश पूजा से आरंभ होता है। उसी प्रकार बिना तिलक धारण किए कोई भी पूजा-प्रार्थना आरंभ नहीं होती। धर्म मान्यतानुसार सूने मस्तक को अशुभ और असुरक्षित माना जाता है। तिलक चंदन, रोली, कुंकुम, सिंदूर तथा भस्म का लगाया जाता है। तंत्रशास्त्र में तिलक की अनेक क्रिया-विधियां विभिन्न कार्यों की सफलता के लिए बताई गई हैं।
ज्योतिषशास्त्र के अनुसार कालपुरूष की गणना प्रथम राशि मेष से की गई है। महर्षि पराशर के सिद्धांत के अनुसार कालपुरूष के मस्तक वाले स्थान में मेष राशि स्थित है। जिसका स्वामी मंगल ग्रह सिंदूरी लाल रंग का अधिष्ठाता है। सिंदूरी लाल रंग राशि पथ की मेष राशि का ही रंग है। इसीलिए इस रंग (लाल रोली या सिंदूर) का तिलक मेष राशि वाले स्थान (मस्तक) पर लगाया जाता है। तिलक लगाने में सहायक हाथ की अंगुलियों का भी भिन्न-भिन्न महžव बताया है।

तिलक धारण करने में अनामिका अंगुली शांति प्रदान करती है। मध्यमा अंगुली मनुष्य की आयु वृद्धि करती है। अंगूठा प्रभाव और ख्याति तथा आरोग्य प्रदान कराता है। इसीलिए राजतिलक अथवा विजय तिलक अंगूठे से ही करने की परंपरा रही है। तर्जनी मोक्ष देने वाली अंगुली है। सामुद्रिकशास्त्र के अनुसार भी अनामिका तथा अंगूठा तिलक करने में सदा शुभ माने गए हैं। अनामिका सूर्य पर्वत की अधिष्ठाता अंगुली है। यह अंगुली सूर्य का प्रतिनिधित्व करती है, जिसका तात्पर्य यही है कि सूर्य के समान, दृढ़ता, तेजस्व, प्रभाव, सम्मान, सूर्य जैसी निष्ठा-प्रतिष्ठा बनी रहे। दूसरा अंगूठा है जो हाथ में शुक्र क्षेत्र का प्रतिनिधित्व करता है। शुक्र ग्रह जीवन शक्ति का प्रतीक है। संजीवनी विद्या का प्रणेता तथा जीवन में सौम्यता, सुख-साधन तथा काम-शक्ति देने वाला शुक्र ही संसार का रचयिता है।

Thursday 23 July 2009

Great Pandavani Singer - Teejan Bai


मैं तो गांव की औरत हूँ तीजन बाई को सब जानते हैं। लोग कहते-लिखते हैं तीजन बाई बहुत बड़ी इंटरनेशनल फेम लोक कलाकार है। पंडवानी पर अपनी विशेष अदायगी के लिए वे पदमश्री से भी नवाजी जा चुकी हैं, पर तीजन बाई को अपनी उपलब्धियों का जरा सा भी गुरूर नहीं है। अपने बारे में, अपनी कला के बारे में और अपने देस के बारे में वे क्या सोचती हैं, जानिए उन्हीं की जुबानी...

ईमानदारी से कहूं मैं आज भी गांव की औरत हूं। सब काम करती हूं। सब्जी बनाती हूं। चटनी बनाती हूं। धान मिंजाई व ओसाई भी कर लेती हूं। आप अपने मन ही बतावो मैं कहां से बड़ी हूं। मेरे दिल में कुछ नहीं है ...ऊंच-नीच, गरीब-अमीर कुछ नहीं, मैं सभी से एक जैसे ही मिलती हूं। बात करती हूं। बच्चों बूढ़ों के बीच बैठ जाती हूं। इससे दुनियादारी की कुछ बातें सीखने तो मिलती है और अनुभव भी बाढ़थे। ऎसे में कोई कुछ-कह बोल भी दे तब भी बुरा नहीं लगता। खराब छपने का भी बुरा नहीं मानती। भोपाल के एक पत्रकार ने छापा था कि तीजनबाई डिस्को डांस के समान पंडवानी करती है, ओव्हर मेकअप करती है, ओव्हर पहनती है, वैसा लोक कलाकार को नहीं करना चाहिए। ऎसा बुरा छपने का भी बुरा नहीं लगा... पर सोचना चाहिए, आदिवासी औरतें आज भी कुछ नहीं पहनती, लुगरा पहनती हैं बिना बेलाउज के रहती है। बीड़ी फूंकती हैं, सुट्टा लगाती हैं... मैं भी पहले गांव में ऎसे ही रहती थी। लेकिन आज युग बदल गया है आज मैं जो पहन रही हूँ वह कैसे ओव्हर हो गया सलवार सूट भी तो मैंने नहीं पहनी, न पहलूंगी, साड़ी-पोलखा पहनती हूं। मेकअप का ये सामान देखो, इसमें क्या, पाउडर- क्रीम और बोरोलीन ही तो है क्या ये फुल मेकअप है! मैं पूछती हूं क्या काजर लगाना, टिकली-माहूर सजाना, मांग में सिंदूर भरना, बारों महीना हाथ पर चूडी़ पहरना कैसे ओव्हर है भाइ! मैं आज भी एक टेम बोरे बासी (रात में पका चावल पानी में डालकर) और टमामर की चटनी खाती हूं।

मेरे घर में एक टेम सभी बासी खाते हैं। लोग पूछते-बोलते हैं, तीजनबाई कुछ नाश्ता किया करो तो मैं बोलती हूँ आप अपने मन का नाश्ता करते हो तो मैं बासी क्यों नहीं खा सकती क् भई, बोरे-बासी छत्तीसगढ़ का अमृत है... जौउन ला खाके हम अन जितना काम कर सकते हैं उतना दूसरा भोजन या नाश्ता करके नहीं किया जा सकता। बासी के सामने शराब का नशा भी कुछ नहीं है।

बिदेस खूब घूम डाली हूं, पर अपना देस अलग है वहाँ एक टाइप की कला है यहां विविध कलाएं हैं। मैं धार्मिक सिनेमा को छोड़कर दूसरा कोई सिनेमा भी नहीं देखती, किसी हीरो-हीरोइन को भी नहीं जानती। बचपन में जब दो रोटी भी घर में नहीं थी फिल्म कहां से देखती। पदमश्री मिलने का दिन आज भी मोर सुरता में है, वेंकटरमनजी ने दिया था। उसी दिन इंदिरा गांधी से भी मिली थी बहुत अच्छी लगी, उन्होंने मेरी पंडवानी सुनी थी। मुझे बुलाकर बोली- छत्तीसगढ़ की हो ना। मैने हाँ कहा तो इंदिरा बोली महाभारत करती हो तो मैं बोली पंडवानी सुनाती हूं महाभारत नहीं कराती, सुनकर इंदिराजी खुश हुई और मेरी पीठ थपथपाई थीं।

युग बदल गया तो मैं भी बदल गई लेकिन इतनी नहीं बदली कि लोग अंगुली उठाएं। मैं जो पहनती हूं वही पूरा छत्तीसगढ़ है, अऊ मोर छत्तीसगढ़ के ये श्रृंगार है। यह बुरा कैसे हो सकता है। रही बात डिस्को की, मैं कभी डिस्को नहीं देखती। किसी स्कूल के प्रोग्राम में चीफ गेस्ट बना देते हैं तो देखती हूं छोटे-छोटे लइका लइकी को डिस्को करते, बच्चों का डिस्को करना अच्छा लगता है पर हमारी लोककला में जो बात है वह बिदेशी नाच-गाना में नही। बिदेशी नाच में कमर जरूर हिलबे , अऊ हमार लोककला में दिल हिलबेे। लोककला के बारे में कछू कहना-लिखना आसान है। लेकिन, एला बचाने में बहुत मेहनत करनी पड़ेगी। अब मेरी अपनी ही बात बताऊं पंडवानी में करांति आ गई है फिर भी मेरे अपने घर में मेरी लोककला का कोई का बस में नहीं है। अच्छी-खासी फौज है बहू-बेटा, नाती पोतों की, पर कोई भी पंडवानी से जुड़ा नहीं है। इसका मुझे कोई दुख भी नहीं है। बाहर कोई कलाकार तो होगा उसे तैयार करूंगी और अपनी कला देकर जाऊंगी, जिसमें प्रतिभा होगी। मेरे बच्चे आज वो सब कर रहे हैं जो मैं नहीं कर पाई यानी मैं एक किलास (क्लास) भी नहीं पढ़ पाई। पढ़ाई न करने का कोई दुख भी नहीं है। हो सकता है पढ़-लिख लेती तो शायद लोककला से नहीं जुड़ पाती।