Monday 13 July 2009

Meditation


ध्यानासन

आपको भूख नहीं लगती, आपका वात, पित्त, कफ असंतुलित है और गठिया की तकलीफ है, तो आपके लिए ध्यानासन फायदेमंद हो सकता है। इससे एकाग्रता बढ़ती है, याददाश्त में भी इजाफा होता है और स्टे्रस कम होता है।

कैसे करें
बड़े आराम से किसी भी ध्यान के एक आसन में बैठ जाएं। अपनी आंखें बंद कर लें, गर्दन सीधी रखें तथा आपका सिर कुछ ऊपर की ओर रहे, कमर (मेरूदण्ड) सीधी रहे। कंधे ढीले, शरीर ढीला तथा अपने मन को एकदम रिलेक्स छोड़ दें। आपकी हथेलियां खुली, आकाश या छत की ओर, दाई हथेली दाएं घुटने पर और बाई हथेली बाएं घुटने पर या चिन मुद्रा या ज्ञान मुद्रा का भी प्रयोग कर सकते हैं। तीन बार लंबी गहरी सांस नाक के रस्ते लें और नाक से ही धीरे-धीरे छोड़ दें। फिर से तीन बार लंबी गहरी सांस अन्दर लें तथा इन्हें धीरे-धीरे मुख के रास्ते छोड़ दें। लंबी गहरी सांसें लेते हुए तीन बार ॐ शब्द का उच्चारण करें।

कितनी देर करें
शुरू में आप अपने अभ्यास को तीस मिनटों से आरम्भ करें, प्रतिदिन आधा मिनट ध्यान के आसन की अवधि बढ़ाते जाएं, इस प्रकार लगभग एक वर्ष के नियमित अभ्यास से आप लगातार तीन घंटों तक बैठ सकने की क्षमता अर्जित कर सकेंगे। कड़े शरीर वाले व्यक्ति भी अन्त में पद्मासन में बैठ सकते हैं। आसन में बैठने की सामथ्र्य, क्षमता ,योग्यता आपके शरीर के लचीलेपन तथा आपकी मानसिक अवस्था के ऊपर निर्भर करती है। इस प्रकार आपका आसन सिद्ध हो जाएगा।

दर्द हो तो क्या करें
ध्यान के आसन में यदि कुछ समय बाद आपके पैरों में तेज दर्द होता है, तो आप अपने पैरों की धीरे-धीरे पांच मिनट तक हाथों से मालिश कर लें और फिर से आसन में बैठ जाएं। आसन-सिद्ध के पश्चात् आप प्राणायाम तथा ध्यान का अभ्यास कर सकते हैं और इनकी उच्चतम अवस्थाओं को प्राप्त कर सकते हैं। आपका आसन जितना अधिक स्थिर होगा ठीक उसी प्रकार आपका मन भी अधिक एकाग्र होगा और इस प्रकार आसन की स्थिरता होने से आप ध्यान योग में आगे बढ़ सकते हैं।

मन की एकाग्रता
आप जीवित मूर्ति की तरह बन जाएं, आपके शरीर में किसी भी प्रकार का कोई भी हलन चलन नहीं हो, आप बाहरी जगत से अपना नाता तोड़ लें। अपना ध्यान आज्ञा चक्र (दोनों भोहों के मध्य भाग) पर केन्द्रित करें, ऎसा करने से आप बड़ी सरलता से अपने मन पर विजय प्राप्त कर सकते हैं; नासिकाग्र पर अपने मन को एकाग्र करने से भी यही फायदा होगा, लेकिन इस प्रकार मन को स्थिर करने में अधिक समय लगेगा, जो व्यक्ति पद्मासन, सिद्धासन या स्वस्तिकासन में नित्य 14 से 21 मिनटों तक अनाहत चक्र में ध्यान करता है, उसको अध्यात्मिक तथा भौतिक लाभ प्राप्त होते हैं।

क्या फायदे
आसनों से पाचन शक्ति बढ़ जाती है, भूख लगती है। गठिया रोग दूर होता है तथा वात, पित, कफ आदि त्रिदोष संतुलित रहते हैं। इनसे टांगों और जंघाओं की नाडियां शुद्ध और शक्तिशाली होती है। यह आसन ब्रह्मचर्य पालन के लिए अति-उपयुक्त है।

ध्यान के आसन
पद्मासन, सिद्धासन (पुरूषों के लिए), तथा स्वस्तिकासन; नए अभ्यासियों के लिए सरल आसन- सुखासन, अर्ध पद्मासन; ध्यान के लिए अन्य सहायक उपयोगी आसन- वज्रासन, आनन्दमदिरासन, पादादिरासन। ध्यान के अभ्यासों के लिए अन्य आसनों का भी प्रयोग किया जा सकता है लेकिन ये उच्च अवस्था में नहीं है।

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