Friday 3 July 2009

Some good Saving Habits


बूंद-बूंद से घट भरे

यह कहावत हमेशा जेहन में रखं कि बूंद-बूंद से घड़ा भरता है, नदियों से सागर बनता है। आप भी बहुत कुछ अपनी समझदारी से बचा सकती हैं।

महीने का आखिर...और तंगहाली की शिकायत, जिसे दुरूस्त करना जरूरी है। आमदनी अच्छी-खासी है, लेकिन पैसा समाप्त हो जाता है, जबकि बहुत से काम और अगली आमदनी के कई दिन बाकी रहते हैं। यह जेब मेे छेद होने से ही नहीं, आपकी गलत आदतों का भी परिणाम होता है। जानिए बचत के कुछ टिप्स ...

-घर के खाने की होड़ नहीं। अगर बार-बार बाहर खाने की आपकी आदत हो तो कोशिश करके उससे बचें। बाहर का खाना जहां महंगा होता है, वहीं नुकसानदेह भी। आपका बजट अकसर इससे भी गड़बड़ाता है।
-हर रोज देर होने पर ऑटो या टैक्सी पकड़ने के स्थान पर बस से आने-जाने की आदत डालें।
-आजकल ज्यादातर ऑफिसों में कर्मचारियों के लिए डिस्पेंसिंग मशीन चाय-कॉफी के लिए लगी होती है। इस चाय-काफी को पीना अपनी आदत बनाएं, ऑर्डर पर ऎसी चीजों पर खर्च ना करें।
-बजाय कैंटीन या बाहर का लंच लेने के आप घर से लंच बॉक्स लेकर जाएं। आजकल ऎसे इलेक्ट्रिक टिफिन आ रहे हैं जिनमें रखा खाना आप खाने से पहले चंद मिनटों में गरम कर सकते हैं। कुछ ऑफिसों में माइक्रोवेव होते हैं या किचन में खाना गर्म करने की व्यवस्था बनी होती है।
-पैसा हाथ में आते ही आप शॉपिंग पर ना निकल पड़ें। यह फिजूलखर्ची बढ़ाने का कारण हो सकता है। बेहतर होगा कि आप आवश्यक सामान की लिस्ट बनाएं और उसके बाद ही खरीदारी करने निकलें।
-आम तौर पर समय या श्रम को बचाने के लिए बाल धोने तक के लिए आप पार्लर चल देते हैं। यदि छोटे-मोटे काम घर पर ही कर लें तो आप बहुत सा पैसा बचा पाएंगी।
-बहुत दिखावे वाले अत्यंत महंगे रेस्तरां में डिनर करने से जहां तक हो सके बचें। जरूरी नहीं कि महंगे होटलों व रेस्तरां में ही खाना अच्छा होता है, कई छोटे रेस्तरां भी सफाई व क्वालिटी का ध्यान रखते हैं।
-बहुत से लोग मोबाइल हाथों में होने पर अपने पर नियंत्रण नहीं रख पाते। उनके हाथ लगातार सक्रिय रहते हैं और इसी कारण वे अकसर जाने-अनजाने नई से नई रिंग टोन लोड कर अपना बिल बढ़ाते रहते हैं।
-यदि फिल्म देखनी हो तो सीडी लाकर फिल्म देखें। आज यदि दो लोग भी थियेटर पर फिल्म देखने जाते हैं तो तीन से चार सौ रूपए खर्च होंगे। वीडयो लाइब्रेरी से लाकर भी फिल्म देख सकते हैं।
-जब भी वीकएंड या किसी यात्रा पर जाना हो तो कॉमिक या नॉवल घर से ले जाएं। लंबी यात्रा पर रास्ते में महंगी किताब खरीदने से बचेंगे और अपना पैसा बचा पाएंगे।
-किसी भी दुकान से सामान खरीद आप बार्गेनिंग की शिकार हो फालतू पैसा दे सकती हैं। फिक्स रेट की दुकान पर क्वालिटी सही मिलती है और दुकानदार से चिकचिकबाजी से भी आप बचती हैं।

No comments: