Monday 13 July 2009

Is Music is good For You ?


सुरों से दोस्ती
मधुर संगीत आत्मा को छू लेता है, पर आज का यूथ तो अलसुबह से देर रात तक ईयरफोन कान में लगाए अलमस्त रहता है। म्यूजिक के दीवाने तो आप भी होंगे। पर क्या कभी अपने कानों से पूछा है कि उन पर क्या गुजरती है। म्यूजिक हमें तरोताजा रखता है। तन-मन में स्फूर्ति लाता है। पर आजकल ये एक फैशन सिंबल बनता जा रहा है।

दूसरों पर इंप्रेशन जमाना हो, तो मोबाइल या आईपॉड लेकर संगीत की स्वर लहरियों को सुनते-सुनते अपना काम करते रहो। पर क्या यह सब ठीक हो रहा है? आप दुनिया से बेखबर होकर खुद तक सिमट कर रह गए हैं। परिवार और समाज संगीत की बयार में पीछे छूट गए हैं। दिमाग पर जोर डालने की आदत जाती जा रही है। तनिक सा सोच-विचार करने में आलस आने लगता है। संवेदनाएं शून्य हो रही हैं।
बहरे हो जाते हैं

हर समय कानों में संगीत बजने से हमारी सुनने और बोलने की क्षमता प्रभावित होती है। लगातार ऎसा करने पर सुनने की ताकत हमेशा के लिए खो भी सकती है। बहरेपन के साथ ही निरंतर संगीत में खोए रहने से ऊंचा बोलने की भी आदत हो जाती है। कई घंटों तक ईयरफोन लगाकर गाने सुनने पर अगर आपको कानों में घंटियां बजने का भ्रम होने लगे, तो बहरेपन का शुरूआती लक्षण है।

कस्तूरबा मेडिकल कॉलेज, मणिपाल में किए एक अध्ययन में यह सामने आया है कि ज्यादा समय तक ईयरफोन लगाकर रहने वालों के कानों में बड़ी संख्या में बैक्टीरिया जमा होने का खतरा पैदा हो जाता है। इस अध्ययन में यह भी सामने आया है कि इन उपकरणों के एक सीमा से ज्यादा इस्तेमाल करने से कान में तेज दर्द और सूजन जैसी समस्या भी हो सकती है।

सुनेंगे नहीं तो समझेंगे कैसे
यूरोपियन युनियन साइंटिफिक कमेटी के एक अध्ययन में सामने आया है कि यदि कोई व्यक्ति हर रोज लगातार तेज आवाज में एम-पी थ्री प्लेयर सुनता रहे, तो अगले पांच साल में उसकी सुनने की क्षमता बेहद कम हो जाएगी। नतीजतन आपके सोचने-समझने की क्षमता पर भी गहरा असर पड़ता है। दिमाग किसी भी विषय पर प्रतिक्रिया नहीं कर पाता।

अमरीका के ऑक्यूपेशनल एंड हैल्थ एडमिनिस्ट्रेशन के अनुसार 80 डेसीबल या इससे ज्यादा की आवाजें हमारी श्रवण शक्ति को नुकसान पहुंचाती हैं। विसकॉसिन यूनिवर्सिटी के एक अध्ययन में यह भी सामने आया है कि आईपॉड सुनने वालों को प्रतिदिन दो घंटे या इससे भी कम समय के लिए ही इसे इस्तेमाल करना चाहिए।

याददाश्त पर असर
घंटों ईयरफोन लगाकर ऊंची आवाज में संगीत सुनने का मतलब है अपनी याददाश्त को कम करना। लगातार म्यूजिक सुनने से आपको सिर्फ संगीत के सिवा कुछ सुनाई नहीं देता। नाक-कान-गला रोग विशेषज्ञ डॉ. राजकुमार गर्ग बताते हैं कि इससे चिड़चिड़ापन और तनाव होने लगता है आपका कोई काम करने में मन नहीं लगता।

कुदरत का संगीत
संगीत सुनना ही है तो सुबह की सैर पर जाइए और चिडियों की चहचाहट या पत्तों की सरसराहट सुनिए। ये कुदरत का संगीत है। इससे आपका मन पूरे दिन खुश रहेगा और आप एक्टिव रहेंगे। इसी तरह अपनों के साथ बैठकर कुछ पल बतियाना, हंसी ठिठोली करना या फिर किसी अपने के गम को बांटना भी हमें वो तसल्ली दे सकता है, जो हर वक्त कानों में बजते संगीत से लाख गुना बेहतर है।

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