Monday 22 June 2009

Handwriting Analysis


कुछ कहती है कलम

क्या आप जानते हैं कि लिखावट में थोड़ा सा बदलाव जीवन में सकारात्मक परिवर्तन ला सकता है। मुंबई की ग्रेफोलॉजिस्ट चंद्रप्रभा वी. पपला की मानें तो यह पूरी तरह संभव है। वे दे रही हैं इस काम को बखूबी अंजाम। चंद्रप्रभा मुंबई मे एक ग्रेफोलॉजिस्ट सर्विस चलाती हैं, जो अपने ग्राहकों की लिखावट का अध्ययन करती हैं और लिखावट में बदलाव के जरिए उनके व्यक्तित्व में बदलाव के सुझाव देती हैं। उनके ग्राहकों में आईबीएम और इस्पात जैसी कॉरपोरेट कंपनियां भी हैं, जो अपने कर्मचारियों की नियुक्ति से पहले उनकी लिखावट का अध्ययन चंद्रप्रभा से कराती है। फिर उनकी रिपोर्ट के आधार पर ही उनकी नियुक्ति करके व्यक्तित्व के हिसाब से काम सौंपने का फैसला करती हैं। इन दो कंपनियों के अलावा कई अन्य छोटी-बड़ी कंपनियां और फर्म उनकी सर्विस से सेवाएं ले रही हैं।

तकदीर जुड़ी लिखावट से
चंद्रप्रभा 2004 से ग्रेफोलॉजिस्ट यानी लिखावट विशेषज्ञ के रूप में काम कर रही हैं। वे मनोचिकित्सक बनना चाहती थीं, लेकिन यह सपना पूरा नहीं हो पाया। उन्होंने ग्रेफोलॉजी और मनोविज्ञान के बारे में किताबें पढ़ीं। अपनी मेहनत के दम पर अमरीका के इंटरनेशनल ग्रेफोलॉजी एसोसिएशन से उन्होंने इस क्षेत्र में विशेषज्ञता का प्रमाण-पत्र हासिल किया। इसके बाद उन्होंने कैफे कॉफी डे में लोगों की लिखावट का विश्लेषण करना शुरू किया। इसके लिए वे हर ग्राहक से 50 रूपए लेती थीं और उनकी लिखावट देख कर उनके व्यक्तित्व के बारे में उन्हें बताती थीं। साथ ही लिखावट में मामूली बदलाव से व्यक्तित्व की कमियां दूर करने के सुझाव देती थीं। उनका यह अनुभव बहुत अच्छा रहा। हालांकि लोगों को उनके हुनर पर एकाएक विश्वास नहीं होता था। लोगों को विश्वास दिलाने के लिए वे उन्हें बताती थीं कि यह कला पूरी तरह वैज्ञानिक है और सटीक बैठती है।

करिश्मा हुनर का
चंद्रप्रभा को पहला बड़ा ब्रेक मिला 2006 में दिल्ली में हुए एक एचआर कन्वेंशन में। उस वक्त वे कुछ कॉरपोरेट्स के लिए फ्रीलांस ग्रेफोलॉजिस्ट के रूप में काम कर रही थीं। इस दौरान वे इन कंपनियों के मालिकों से मिलतीं और उन्हें अपने हुनर के बारे में जानकारी देतीं। आईबीएम और इस्पात के अघिकारी उनके हुनर से बहुत प्रभवित हुए। आज वे अपनी एक कंपनी सीजीएस चलाती हैं और कई कंपनियों को सेवा देती हैं। उनकी फीस 3000 से 25000 रूपए तक है। यह फीस व्यक्तियों और कंपनियों के लिए अलग-अलग है। उनकी फर्म की सबसे अनूठी सर्विस है हस्ताक्षर डिजाइनिंग।

उनका दावा है कि यह बहुत सही और सकारात्मक परिणाम देने वाली सर्विस है, जो ग्रेफोलॉजी के मूल सिद्धांतों पर आधारित है। इसमें हस्ताक्षर मे बदलाव के जरिए व्यक्तित्व और काम में सकारात्मक परिणाम मिलते हैं। इसके अलावा उनकी कॉर्पोरेट सर्विस में स्ट्रेस मैनेजमेंट और कंपनियों के मानव संसाधन विभाग के लोगों के लिए लिखावट के विश्लेषण से संबंघित प्रशिक्षण भी शामिल हैं। मुंबई में जंबों किंग वड़ा पाव चेन चलाने वाले धीरज गुप्ता ने अपनी कंपनी कालोगो उनसे डिजाइन कराया और खुद ने भी प्रशिक्षण प्राप्त किया। आज वे न सिर्फ अपने काम बल्कि खुद मे भी काफी बदलाव महसूस कर रहे हैं।

लिखावट बदलती है व्यक्तित्व
चंद्रप्रभा बताती हैं कि लिखावट के विशलेषण का अपना विज्ञान है। जैसे अंग्रेजी वर्णमाला के अक्षर-टी- को लिखने के करीब 50 अलग-अलग तरीके हैं। हम इनमें से तीन-चार तरीके ही जानते हैं और काम में लेते हैं। कोई भी स्ट्रोक नकारात्मक या सकारात्मक नहीं होता। जब आप अपने व्यवहार में बदलाव चाहते हैं, तब हम आपको अपनी जरूरत के हिसाब से स्ट्रोक में बदलाव करने की सलाह देते हैं। इसके लिए करीब 45 दिन तक हर रोज दो-तीन पेज का अभ्यास कराया जाता है। जब आप अभ्यस्त हो जाते हैं, तो यह बदलाव आपकी लिखावट में शामिल हो जाता है। इसके लिए प्रेक्टिस बुक और पढ़ने की सामग्री भी दी जाती है। चंद्रप्रभा किसी भी भाषा में काम कर सकती हैं, पर वे रोमन लिपि में ही ज्यादा काम करती हैं क्योंकि ग्रेफोलॉजी का पूरा विकास इसी लिपी में हुआ है। ग्रेफोलॉजी में अक्षर की बनावट, आकार, स्पेस, रिदम, दो अक्षरों, शब्दों और पंक्तियों के बीच का स्पेस आदि कई आधार पर विशलेषण किया जाता है।

No comments: